टाटा नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसी चीज़ आती है जो हम ज्यादातर बाकी कंपनी से एक्सपेक्ट नहीं करते है और वो है ट्रस्ट।

लेकिन 12 अप्रैल 2001 को काफी कुछ अलग हुआ। न्यूसपेपर में छपकर आया टाटा की एक कंपनी ने स्कैम किया। 

पर ये मामला आखिर क्या था? तो बात ये थी की टाटा ग्रुप की कंपनी Tata Finance पर ये आरोप था की उन्होंने RS.500 करोड़ का एक स्कैम किया है। 

जब इन्वेस्टिगेशन की गई तो पता चला की टाटा फाइनैन्स के जो मैनेजिंग डाइरेक्टर है दिलीप पेंडसे वो उसमें शामिल थे। 

उन्होंने करीब 500 करोड़ का लोन अपनी कंपनीस को दिया और कंपनी का काफी सारा पैसा गलत जगह पर इन्वेस्ट किया। 

जिसके बाद कंपनी के जो 4,00,000 इन्वेस्टर्स थे उनका पैसा रिस्क में आ गया था। 

अब जैसे ही मिस्टर रतन टाटा को ये चीजें पता चली उन्होंने सबसे पहले मेक स्योर किया कि हर एक इन्वेस्टर को उनके पैसे आसानी से मिल पाए।

600 करोड़ का तुरंत इंतजाम किया ताकि अगर लोग तुरंत भी अपना पैसा निकालना चाहे तो निकाल सकते हैं।

लेकिन इन 4,00,000 में से ज्यादातर लोग इस चीज़ से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उन्हे ट्रस्ट था टाटा उनके साथ गलत नहीं होने देगा।

जिसके चलते किसीने ने भी हड़बड़ी से पैसा नहीं निकाला और ना ही टाटा को तुरंत पैसा डालने की जरूरत पड़ी। क्योंकि टाटा पर लोगों का विश्वास कायम है।